आप-एक और चित्र

व्योम के पत्र पर चाँदनी की किरन, रात भर एक जो नाम लिखती रही
वर्तनी से उसी की पिघलते हुये, पाटलों पर सुधा थी बरसती रही
चाँद छूकर उसे और उजला हुआ, रोशनी भी सितारों की बढ़ने लगी
आपका नाम था, छू पवन झालरी गंध बन वाटिका में विचरती रही
 
बादलों ने उमड़ते हुये लिख दिया ,व्योम पर से जिसे बूँद में ढाल कर
टाँकती है जिसे गंध पीकर हवा, मन के लहरा रहे श्वेत रूमाल पर
एक सतरंग धनु की प्रत्यंचा बना जो दिशाओं पे संधान करता रहा
आपका नाम है जगमगाता हुआ नित्य अंकित हुआ है दिवस भाल पर

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

अहा, बहुत सुन्दर..

Asha Joglekar said...

बादलों ने उमड़ते हुये लिख दिया ,व्योम पर से जिसे बूँद में ढाल कर
टाँकती है जिसे गंध पीकर हवा, मन के लहरा रहे श्वेत रूमाल पर

अति सुंदर ।

नव वर्ष २०२४

नववर्ष 2024  दो हज़ार चौबीस वर्ष की नई भोर का स्वागत करने खोल रही है निशा खिड़कियाँ प्राची की अब धीरे धीरे  अगवानी का थाल सजाकर चंदन डीप जला...